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क्या आप जानते है, क्रियाकाल यह निदान का विषय है या चिकित्सा का? आचार्य डल्हन ने क्रियाकाल को क्या पर्याय दिया है? "षट्क्रियाकाल" यह निदान का विषय नहीं; अपितु "क्रिया" का अर्थात चिकित्सा का विषय है। महर्षि सुश्रुताचार्य जी ने छह "क्रिया" के काल बताएं है, जिस काल में रुग्ण अपने OPD में आता है। आचार्य डल्हन ने क्रियाकाल को "चिकित्सा–अवसर" बताया है, यह केवल निदान में ही नही, चिकित्सा के लिए ही उपयुक्त है। केवल उस दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। यह क्रियाकाल सुश्रुत संहिता के "व्रणप्रश्न अध्याय" में वर्णित है। क्रियाकाल मुख्यतः व्रण चिकित्सा में उपयुक्त है; परंतु व्रण अर्थात केवल घाव या चोट ही न हो कर Cancer, कुष्ठ, क्षत, यक्ष्मा जैसे अनेकों व्याधि में यह मुख्य लक्षण है। ऐसे क्रियाकाल जिसको समझने मात्र से वैद्य Cancer, Psoriasis जैसे जटिल से जटिल व्याधियों को रुग्ण के शरीर में होने वाली संप्राप्ति को भंग करके ठीक कर सकते है। Homeostasis तथा Pathogenesis में भी यह अत्यंत उपयुक्त है। संक्षेप में क्रियाकाल का ज्ञान होना यह OPD तथा IPD में आने वाले 100% रुग्णों के संदर्भ में आवश्यक है। अद्यापी आप महाविद्यालयीन विद्यार्थी हो या चिकित्सारत (Practitioner) हो, यह विषय जान लेना आपको अतिमहत्वपूर्ण है। चिंता मत करिए, अच्छी बात ये है की ये सब आप सदगुरू सानिध्य में रहकर सिख कर अपनी सुपरस्पेशलिटी प्रैक्टिस स्टार्ट कर सकते है। भगवतः धन्वन्तरि प्रसादेन हेमाद्री आयुर्वेद संकुल प्रस्तुति By Kripa of Bhagwan Dhanwantari Hemadri Ayurved Sankul Presenting "क्रियाकाल अवबोध Online Certificate Webinar" मूलभूतेभ्यः समष्टि क्रियाकालं ज्ञातव्यम्। हम सम्पूर्ण दिन में सविस्तर क्रियाकाल, संहितावाचन, चिकित्सा सिद्धांत तथा रुग्णानुभव जानेंगे। व्याख्याते - वैद्य अनंत धर्माधिकारी वैद्या अहिल्या शर्मा वैद्य अभिजित सराफ वैद्य सचिन म्हैसने (नाना) वैद्य मंगेश देशपांडे वैद्य संदेश चव्हाण Highlights - – संहितोक्त अध्ययन – क्रियाकाल सिद्धांत – चिकित्सा सिद्धांत – अवस्थानुरुप पांचभौतिक चिकित्सा – चिकित्सा विशेष – रुग्णानुभव