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चिकित्साकर्म करने के लिए आपको सबसे महत्वपूर्ण क्या लगता है? व्याधि निदान या चिकित्सासूत्र? निर्दोष स्वरूप से देखे तो, ये दोनों ही अंग महत्वपूर्ण है। रथ के दोनो चक्र के भांति एक के सिवा दूसरे का कोई उपयोग नहीं। "संप्राप्ति" का ज्ञान दोनों अंगों से परिपूर्ण है। व्याधि के उपादान कारणों से लेकर व्याधि निर्माण पर्यंत के विषय संप्राप्ति में अन्तर्भूत है। इस से आगे का विचार किया जाए, तो संम्प्राप्ती भङ्गोपाय भी संप्राप्ति ज्ञान से प्राप्त हो सकता है। महर्षि सुश्रुताचार्य जी ने जो छह "क्रिया" के काल बताएं है, जिस काल में रुग्ण अपने OPD में आता है। उस की चिकित्सा करने हेतु पूर्वोक्त व्याधि उत्पत्ति अवस्था जान लेना अनिवार्य है। आज अनेकों नवोत्पन्न व्याधियों के बारे में कुछ भी करने में हम अनभिज्ञ रहते है। यद्यपि आचार्य चरक कहते है, की व्याधियों का नाम महत्वपूर्ण नहीं है, उन की चिकित्सा संप्राप्ति ज्ञान से ही संभव हो सकता है। संक्षेप में संप्राप्ति का ज्ञान होना यह OPD तथा IPD में आने वाले 100% रुग्णों के संदर्भ में आवश्यक है। यद्यपि आप महाविद्यालयीन विद्यार्थी हो या चिकित्सारत (Practitioner) हो, यह विषय जान लेना आपको अतिमहत्वपूर्ण है। इसलिए, भगवतः धन्वन्तरि प्रसादेन हेमाद्री आयुर्वेद संकुल प्रस्तुति By Kripa of Bhagwan Dhanwantari Hemadri Ayurved Sankul Presenting "सम्प्राप्ति विशेष : Two Day Online Certificate Webinar" उत्पादकारणस्य व्याधिजननपर्यन्तं विज्ञेयम्। (व्याधि के उपादान कारण से व्याधिजनन प्रक्रिया पर्यंत का ज्ञान कीजिये।) व्याख्याते - – वैद्य प्रयाग सेठिया – वैद्य नरेंद्र पेंडसे – वैद्य सचिन म्हैसने (नाना) – वैद्या गौरी कुलकर्णी – वैद्या प्रियदर्शिनी बापट – वैद्य निलेश पाटील – वैद्य प्राजक्ता पटेल – वैद्य धनंजय कुलकर्णी – वैद्य संदेश चव्हाण – Surprise Lecture Highlights - – Understanding Samprapti Sankalpana – सम्प्राप्ती अनुरूप चिकित्सा वैविध्य – सम्प्राप्ती भङ्गोपाय – हेतू विशेष – सम्प्राप्ती ज्ञान और चिकित्सानिश्चिती सोदाहरण – आवरण सम्प्राप्ती विचार – ख वैगुण्य सम्प्राप्ती और चिकित्सा में महत्त्व – सम्प्राप्ती भेद और उपयुक्तता – अनुक्त व्याधी सम्प्राप्ती - निश्चिती – रुग्णानुभव